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Sunday, August 21, 2011

ANNA KA ANSHAN

परम श्रधेय श्री अन्ना जी ,
                     भूमिस्थ प्रणाम,
         सर्वप्रथम_ पांच दिनों के अनशन के बाद भी हमारे जन- क्रांति नायक पूर्णरूपेण स्वस्थ हैं यही हमारी ईश्वर से प्रार्थना है, हमारी कामना है I आपके दृढ निश्चय से हम आश्वस्त भी हैं कि आपके नेतृत्व में भारतीय राष्ट्र का पुनर्निर्माण हो कर रहेगा, हमे दूसरा गाँधी मिल गया है I जन लोकपाल बिल को कानून का स्वरुप प्रदान करने हेतु आपने आमरण अनशन की भीष्म प्रतिज्ञा का जो कठिन संकल्प देश हित में ले रखा है उससे भयभीत और चिंतित भी हुए हैं हम ! बन्दे मातरम और भारत माता की जय- घोष से सारा भारतीय आकाश आज गुंजायमान है - धन्य हो गयी मात्रभूमि, धन्य हो गयी धरती !  
         सांसारिक सुखो का सर्वस्य त्याग कर देनेवाले श्री अन्ना - ७४ साल की आयु बीत जाने के पश्चात् भी देश के हित में, जन-जन के हित में - स्वतंत्र भारत के सरकारी तंत्रों में निचे से ऊपर तक व्याप्त घनघोर भ्रष्टाचार के कारण फैले जघन्य ब्यभिचार और भ्रस्टाचार को सुरक्षित - संरक्षित करने हेतु क्रूर अत्याचार से पीड़ित जन-जन के करुण क्रंदन, बेबस चीत्कार और असहनीय वेदना की पीड़ा से व्यथित हो बलिदानी अन्ना अपने जीवन की आहुति देने निकल पड़े हैं ! आज अन्ना भारत हो गए हैं - भारत अन्ना हो गया है !
         राम के आदर्श, पुरुषार्थ और धैर्य के साथ कृष्ण के ज्ञान, विवेक और शौर्य का अन्ना के व्यक्तित्व में अद्भुत संगम का विराट दर्शन कर रहे हैं हम - सम्पूर्ण भारतवर्ष आज अन्ना को ही परित्राण हेतु ताक रहा है ! दिनानुदिन कलुषित होता गौरवशाली भारतीय इतिहास को निष्कलंकित करने का लक्ष्य निर्धारित कर निश्चय ही इतिहास के स्वर्णिम पन्नो पर अंकित किये जाएंगे श्री अन्ना I
         पुन्ह्श्च, भारत के पुनुरूधार के आधुनिक स्वप्न द्रष्टा स्वामी विवेकानंद के प्रेरणादायी मार्गदर्शन के फलस्वरूप आजीवन ब्रह्मचर्य संकल्पित अन्ना ने - हलवाहे के हल से ; किसानो के मचानो से ; लोहारो के घन और हथौड़ो से ; कल कारखानों के मशीनों से ; हलवाई की मिठाई की दुकानों से ; दर्जी की सूई से ; विद्यालय-विश्वविद्यालय के बेंच और मेजों से ; अस्पतालों के आले से ; इंजीनियर और वैज्ञानिकों के तकनीक और प्रयोगशालाओं से ; मंदिर के घंटों और मस्जिदों के अजानों से ; पंडित और इमामों के पवित्र ग्रंथों से तथा फकीरों की कुटिया से राष्ट्र-निर्माण के लिए श्री अन्ना के हुंकारों पर जो भारत निकल पड़ा है वह निश्चय ही  श्रधांजलि होगी उस योद्धा-सन्यासी को जिसने आज से लगभग ११५ वर्ष पहले - गुलामी की जंजीरों में बंधा भारत के पुनर्निर्माण का खाका खींचा था - एक सपना देखा था बसुधैव -कुटुम्बकम के भारतीय आदर्श से विश्व की अगुवाई की I 
        बापू के आदर्शों का अक्षरशः अनुपालन से अनुशासित, लाठी के बदले हाथ में तिरंगा का सहारा लिए - शहीदे आजम सरदार भगत सिंह, राजगुरु और सुखदेव आदि बलिदानियों का अनंत राष्ट्रिय उत्साह ; चंद्रशेखर आजाद का अदम्य साहस और नेताजी सुभाष चन्द्र का दृढ संकल्प लेकर अन्ना ने एक जन-क्रांति नायक के रूप में भ्रस्टाचार मुक्त, ब्याभिचारमुक्त, अत्याचार मुक्त और शोषण मुक्त भारत की संरचना गढ़ने के संकल्पों के साथ ही जन - क्रांति के सिंहनाद से सम्पूर्ण आजादी पाने का लक्ष्य निर्धारित कर जन - जन को अन्ना बना दिया है अन्ना ने I   
         ऐसे समय में पूरा भारतवर्ष श्रधेय अन्ना हजारेजी को एक आशाभरी नेत्रों से निहार रहा है कि भारतमाता की गोद में आज भी अन्ना, अरविन्द और किरण जैसी लाल है जो इन देशी परन्तु विदेशियों से भी कहीं अधिक  क्रूर, अत्याचारी, निर्मम, शोषक, उत्पीड़क और रक्षक ही भक्षक की भूमिका में सरकारी तंत्रों पर अधिकार जमाये बैठे भ्रस्ट लोगो पर अंकुश लगाने हेतु पूर्ण शक्ति संपन्न जन - लोकपाल का सृजन कर देश को इस भ्रस्टाचार रुपी दानव से मुक्ति दिलाने में अपनी जान लगाने को तैयार है. हम सभी अपने हार्दिक एवं राष्ट्रिय भावनाओं से आदरणीय अन्ना को पूर्ण सम्मान एवं समर्थन देने को तैयार बैठे हैं इ

           अंततः जननी  जन्मभूमिश्च  स्वर्गादपि  गरीयसी !
                       वन्दे मातरम, भारतमाता की जय !  
                             
              
   

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