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Tuesday, September 11, 2012

स्वामी विवेकानंद की 150 वीं जन्म शताब्दी पर स्वामीजी की प्रासंगिकता वैसी की वैसी बनी हुई है जैसी की उनके जीवन काल में थी i

स्वामीजी ने अपने जीवन काल में कहा था _ कोई विवेकानंद ही इस विवेकानंद को समझ सकेगा कि यह क्या कह-कर गया है I

स्वामीजी ने अपने जीवन काल में ही यह भी कह गए हैं कि इस विवेकानंद ने तो अमरत्व को पा लिया है परन्तु इसका अमरवेल इस इहलौकिक शरीर को त्यागने के 150 वर्षों के पश्चात मात्र भारत ही नहीं वरन सम्पूर्ण विश्व को आच्छादित कर शताब्दियों तक मानव जाति का हित-साधना कर सकेगी !

स्वामीजी ने युवा भारत की परिकल्पना से विश्व को सम्मोहित किया था जो विश्व को नेतृत्व करने के लिए पूर्ण सामर्थ्यवान होगा परन्तु आवश्यकता है वीरों की_वीर बनो I चट्टान की तरह दृढ रहो  सत्य की सदा विजय होती है I ....भारत को नव विद्युत्-शक्ति की आवश्यकता है, जो भारतीय धमनी में नविन स्फूर्ति का संचार करे I ...साहसी बनो, साहसी बनो - मनुष्य एक बार मरता है I मेरे अनुशरण करने वाले कभी कायर मत बनो I पुरुषार्थ को धारण कर गंभीर बुद्धि का स्वामी बनो
बालबुद्धि जीव तुम्हे क्या कहता है तनिक भी परवाह न करो, उस पर ध्यान मत दो I ' हे वीर अपने पौरुष का स्मरण करो_ हमारे राष्ट्र को इस समय कर्म्-तत्परता और वैज्ञानिक प्रतिभा की आवश्यकता है I .... महान तेज, महान बल तथा महान उत्साह की आवश्यकता है I अबलापन से राष्ट्र के कार्य नहीं हो सकते ?

अतएव उठो, साहसी बनो, वीर्यवान होओ I सब उत्तरदायित्व अपने कन्धों पर लो - यह याद रखो कि तुम स्वयं अपने भाग्य के निर्माता हो I तुम जो कुछ भी बल या सहायता चाहो, सब तुम्हारे ही भीतर विद्यमान है I अतएव इस ज्ञानरूप शक्ति के सहारे तुम बल को प्राप्त करो और अपने ही हाथों अपना भविष्य गढ़ डालो !

पीछे की ओर देखने की आवश्यकता नहीं है -- आगे बढ़ो I हमें अनंत शक्ति, अन्नंत उत्साह, अन्नंत साहस तथा अन्नंत धैर्य चाहिए, तभी महान कार्य संपन्न होगा I

समस्त जातियों को, सारे सकल मतों को, भिन्न-भिन्न सम्प्रदायों के दुर्बल, दुखी, तिरस्कृत लोगों को स्वयं अपने पैरों पर खड़े होकर मुक्त होने के लिए उच्च स्वर में उदघोष कर रहे हैं_मुक्ति अथवा स्वाधीनता ; दैहिक स्वाधीनता ; मानसिक स्वाधीनता ; राजनैतिक स्वाधीनता ; आर्थिक स्वाधीनता ; आध्यात्मिक स्वाधीनता __ एक सम्पूर्ण स्वाधीनता जो उपनिषदों का मूल मन्त्र है I






                                                 

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